Saturday, January 27, 2018

राजनीतिक सच्चाई

‘राजनीतिक सच्चाई’

चुनाव के पहले जिस व्यक्ति को हम सबसे ज्यादा उपयोगी और कार्ययोगी समझते है, चुनाव हारने के बाद वही व्यक्ति जिस पर आपकी बहुत ही उम्मीद टिकी हुई है आपको कार्यरहित और अनुपयोगी लगने लगता है क्यों की अब आप नए चुनावी समीकरण की ओर नजर
रखने लगे होते है.  इसीकारण आप उसे अपने दल से या समूह से अलग करने लगते है.
उधारण के तौर  पर
“ जो शरीर आपको बहुत सुंदर लगता है मौत के बाद वही शरीर आपको सुंदर नहीं लगता उसे आप अपने पास ना रखकर जला देते हो”
लेकिन इस राजनीतिक जगह में आप भूल जाते है हार जीत तो होती रहती है आज की हार ही कल की आपकी जीत बन सकती है और यही लोग आपके जीत के कारण होंगे जो लोग आपके हार में भी आपके साथ थे.
व्यक्ति की हार को ऊपर से मत देखो उस व्यक्ति का कर्म, उसका व्यवहार, उसका चरीत्र और उसका विचार देखो जो आपके लिए आगे के चुनाव में मेहनत कर आपके चुनाव को जीता सकते है.
शारीर की चमड़ी उतार देने पर हकीकत दिखती है भीतर क्या है भीतर तो बस रक्त, रोग, मल, और कचरा भरा पड़ा है.
ये रक्त, रोग, मल, और कचरा राजनीतिक व्यक्ति के कर्म, उसका व्यवहार, उसका चरीत्र और उसका विचार है
इसी प्रकार आपको व्यक्ति की चमड़ी ( राजनितिक कवच ) उतारके उसके व्यचारिक भाव और राजनीतिक सोच को देखना है. चुनावी दोस्तों को बहार से नहीं अंदर से देखो वो आगे तक आपके साथ रहेंगे जीत सुनिश्चित करेंगे.

प्रशान्त सिंह सचान

(राजनीतिक विश्लेषक और समीक्षक)

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